नशे और नफरत के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगी महिलाएं

त्रिलोचन भट्ट

त्तराखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाओं ने इस बार में लोक सभा चुनाव से ठीक पहले फिर से सड़कों पर उतरने का ऐलान किया है। इस बार महिलाएं उत्तराखंड को नशे और नफरत से मुक्त करने के लिए सड़कों पर उतरेंगी। उत्तराखंड महिला मंच के इस आंदोलन को कई अन्य जन संगठनों ने भी समर्थन दे दिया है। आंदोलन की शुरुआत 19 मार्च को देहरादून से होगी और पूरे राज्य में यह आंदोलन फैलाया जाएगा।

रविवार को कचहरी स्थित शहीद स्मारक में महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित बैठक में नशे और नफरत के खिलाफ आंदोलन चलाने का फैसला किया गया। कहा गया कि चुनाव ही वह मौका है, जब राजनीतिक पार्टियां आम लोगों की बात सुनती हैं। इसलिए लोक सभा चुनाव से ठीक पहले यह आंदोलन शुरू किया जा रहा है। दावा किया गया कि राज्य में ड्रग्स पूरी तरह बंद करने और शराब नीति में सुधार किये जाने तक यह आंदोलन जारी किया रहेगा। इसके साथ ही नफरत की राजनीति का भी विरोध किया जाएगा। इस बैठक में उत्तराखंड इंसानियत मंच, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, इप्टा और भारतीय किसान सभा के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। सभी ने महिला मंच के आंदोलन को समर्थन देने की बात कही।

बैठक में राज्य में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति में चिन्ता जताई गई। कहा कि राज्य में एक तरफ जहां सरकार ने शराब घर-घर तक पहुंचा दी है, वहीं युवा पीढ़ी तेजी से सूखे नशे की चपेट में है। वक्ताओं को कहना है कि राज्य में हर दिन भारी मात्रा में सूखा नशा सप्लाई किया जा रहा है। नशे की जाल मंे फंसकर कई युवाओं की मौत हो गई है। देहरादून में जहां शिक्षण संस्थाओं के आसपास सरेआम इस तरह का नशा बेचा जा रहा है, वहीं दूसरी और राज्य के दूर-दराज के इलाकों तक भी स्मैक जैसे नशीले पदार्थ पहुंचाये जा रहे हैं। यह पुलिस और संबंधित अधिकारियों की सांठ-गांठ से किया जा रहा है।


उत्तराखंड महिला मंच की अध्यक्ष कमला पंत ने कहा कि नशे और नफरत ने युवा वर्ग को तबाह कर दिया है। बेरोजगारी से हताश युवाओं को एक पार्टी नशे का आदी बना रही है और अपने झंडे पकड़ाकर उन्हें नफरत में झोंक रही है। इससे समाज और परिवारों को ताना-बाना पूरी तरह से बिखर रहा है। नशे के जरूरत पूरी करने के लिए युवा छोटे-बड़े अपराध भी करने लगे हैं।

बैठक में फैसला किया गया कि 19 मार्च को नशे के खिलाफ डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन करके मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा। इसके बाद शहर के अलग-अलग हिस्सों में छोटी-छोटी जनसभाएं और धरने प्रदर्शन किये जाएंगे। शुरू में कम से कम 10 जगहों पर ऐसी जनसभाएं की जाएंगी। इसके बाद महिला मंच अन्य संगठनोेें के साथ मिलकर घर-घर दस्तक देगा और लोगों को, अपने बच्चों को नशे से दूर रखने के बारे में जागरूक करेगा। यह भी फैसला किया गया कि जन संपर्क अभियान के माध्यम से बेरोजगारी, महंगाई, महिला अपराधों को लेकर भी लोगों को आगाह किया जाएगा और नफरत नहीं रोजगार का नारा दिया जाएगा।

बैठक में उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा, उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट, ऊषा भट्ट, उमा भट्ट, किसान सभा के गंगाधर नौटियाल, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के कमलेश खंतवाल, स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट आदि ने भी अपने विचार रखे और नशे और नफरत की बढ़ती प्रवृत्ति के लिए मौजूदा सरकार को जिम्मेदार ठहराया। वक्ताओं का कहना था कि नशे के कारण कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं, कई घरों में जवान बच्चों की मौत हो चुकी है। ऐसे में इस मुहिम को पूरे राज्य में चलाया जाना चाहिए। सरकार, पुलिस और प्रशासन पर नशे पर रोक लगाने के लिए दबाव बनाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *