टनल हादसा रेस्क्यू : दावे हैं दावों का क्या

अतुल सती
जोशीमठ

 

फरवरी माह की सात को 2021 में 200 से ज्यादा लोग एक जलविद्युत परियोजना की सुरंग में दफ्न हो गए थे ।

आपदा के कुछ ही बाद टीवी के सैकड़ों पर्दों पर राहत / सुरंग से लोगों को तुरन्त निकालने की युद्धस्तर की कवायद दिखाई जाने लगी ।
” सेना ने संभाली कमान ” पहले पूरे दिन चला। लगा बस अब बाकी करने को रहा ही क्या । टीवी के कैमरे सुरंग के मुहाने पर और जनता स्क्रीन पर चमत्कार की प्रतीक्षा करती रही ।
दूसरे दिन ” आई टी बी पी को सौंपी कमान ” चला ।
लगा अब तो बस हुआ कि हुआ ।
तीसरे दिन एन डी आर एफ ..
और चौथे दिन तमाम कोशिश के बाद कुछ नतीजा नहीं निकला तब सुरंग बनाने वाली ठेकेदार कम्पनी एन टी पी सी को पीछे भीड़ से धकियाते हुए आगे बुलाया गया .. तब वे सुरंग का नक्शा लिये आए ।
अब जाके खुलासा हुआ कि पिछले तीन दिन से अंधेरे में तीर छोड़े जा रहे थे ।
सुरंग के भीतर बहुत से खाने थे ,रास्ते थे जिनके बारे राहत/ बचाव वालों को कोई अंदाजा न था ।
तब सारा ऑपरेशन एन टी पी सी के हवाले हुआ ।
जो हफ्तों  महीनों और सालों चला.. चल रहा है ।
एक महीने बाद टीवी के सैकड़ों पर्दों और उन पर नजर गड़ाए लोगों की दिलचस्पी इसमें खत्म हो गई ।
और उसके बाद उन सैकड़ों लोगों का क्या हुआ किसी ने खोज खबर करने की जरूरत नहीं समझी ।
महीनों बाद तक मलवे के साथ लाशें .. कभी एक कभी दो ..कभी किसी का हाथ कभी बांह कभी पैर सर और धड़ निकलते रहे ..
हमारी तसल्ली को हमें गिनती .. संख्या पकड़ा दी गई … और मुआवजा बाकी की दिक्कत को राहत के लिये ..
आज भी न्याय नहीं हुआ .. कौन जिम्मेदार था .. क्या जिम्मेदारी आयद हुई ..
भविष्य में क्या किया जाएगा रक्षा उपाय ..क्या यह परियोजना अब भी फिजेबल है .. जितना धन और समय लग गया उसके मुकाबले.? .. सुरक्षित है .. मानकों पर है .?
कोई जवाब नहीं …
 अभी उत्तरकाशी में लोग फंसे हैं तो उनका जिक्र है ..रहेगा कुछ दिन .. जब तक कुछ हो न जाय..
फिर किसी और हादसे पर यह सब याद आएगा ..!
अभी जब सुरंगे निर्माणाधीन हैं तब इन हादसों की ज़द में मजदूर आएंगे .! जब यह पूरी होंगी तो बड़े हादसों  की आशंका रहेगी .. जिनमें न जाने कितने आम मासूम फंसेंगे अथवा …..
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