स्मार्ट सिटी के खिलाफ उठी पहली बार दमदार आवाज

संयुक्त नागरिक संगठन के जन संवाद में अनियोजित विकास पर हुई चर्चा

त्रिलोचन भट्ट

 

पिछले चार साल से  ज्यादा वक्त से देहरादून को स्मार्ट सिटी के नाम पर बार-बार खोदा जा रहा है। एक सड़क कई-कई बार खोदी जा चुकी है। सब कुछ इतने सालों से अस्त-व्यस्त है। स्मार्ट सिटी की ओर से लगातार बड़े-बड़े दावे किये जा रहे हैं। पर इतने सालों तक कोई कुछ न बोला। अब पहली बार देहरादून के लोग इस मसले पर एकजुट होते दिखे। लगता है देहरादून स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर की बुरी हालत अब देहरादून के लोगों को खलने लगी है। अब तक शहर की हालत में सुधार की उम्मीद करने वाले लोग पूरी तरह से निराश हो गये हैं। 2 नवम्बर, 2023 को हुई संयुक्त नागरिक संगठन ने इस मसले पर जन संवाद का आयोजन किया। इस संवाद में यह बात साफ तौर पर सामने आई कि लोग अब खोदी गई सड़कों और अस्त-व्यस्त शहर से परेशान हो चुके हैं और नेताओं और अधिकारियों पर दबाव बनाकर जल्द से जल्द शहर की हालत में सुधार करवाना चाहते हैं। मुझे लग रहा था खुद को मेन स्ट्रीम मीडिया बताने वाले अखबार और चैनल इसे बड़ी खबर बनाएंगे। लेकिन, कुछ ने खबर छापी नहीं तो कुछ ने संक्षिप्त में समेट दी। लिहाजा मैं इस पूरी खबर को यहां दे रहा हूं।

 

इस बैठक में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के साथ विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों, गणमान्य लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने भी हिस्सा लिया। ज्यादातर वक्ताओं का कहना था कि जिस तरह से पिछले कई वर्षों से सड़कें खोदी जा रही हैं और शहर के लोगों का जीवन खतरे में डाला जा रहा है, वह अब बर्दाश्त से बाहर है। बैठक में स्मार्ट सिटी की प्रोजेक्ट की बदहाली के साथ ही मास्टर प्लान 2041 और शहर में पेड़ों को काटे जाने का लेकर भी चर्चा हुई। इन तमाम मसलों को लेकर दून डेक्लीरेशन का मसौदा तैयार करने और राज्य स्थापना दिवस के मौके पर इसे सार्वजनिक करने पर चर्चा हुई।

एसडीसी फांउडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने बैठक में निकले निष्कर्षों का जवाब देते हुए कहा कि एमडीडीए ने मास्टर प्लान-2041 का जो मसौदा तैयार किया है उस पर आपत्तियां दर्ज करवाने का लोगों को पर्याप्त समय नहीं दिया। इस मसौदे को सरल भाषा में लोगों के सामने भी नहीं रखा गया। उन्होंने तीन तरह से समस्याओं के समाधान की जरूरत बताई। इसमें एकजुट होकर विरोध करना, चिंतन पदयात्राएं निकालना और कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेना शामिल है।

बैठक का संचालन करते हुए जगमोहन मेहंदीरत्ता ने कहा कि पूरा शहर खोदकर लोगों को जान जोखिम में डाली जा रही है। अखबारों में जो स्मार्ट सिटी को लेकर खबरें छपती हैं जमीन पर वह होता नहीं है। ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह खराब है। मैट्रो को लेकर कई बार नेता और अधिकारी विदेशों को दौरा कर चुके हैं, लेकिन मेट्रो फाइलों से बाहर नहीं निकल रही है। पार्षद देवेन्द्रपाल सिंह मोंटी ने कहा कि देहरादून का स्मार्ट सिटी बनाने का फैसला ही गलत था। एक अलग से स्मार्ट सिटी बननी चाहिए थी। अब स्मार्ट सिटी के नाम पर मनमानी हो रही है।

पुरुषोत्तम भट्ट ने कहा कि किसी को मोदी की चिन्ता है, किसी का राहुल की अपने बच्चों की किसी को चिन्ता नहीं है। इसीलिए शहर की ये हालत है। महिलाएं और युवक लगातार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन हम उनके साथ खड़े होने तक की जहमत नहीं उठा रहे हैं। पार्षद अनूप कपूर ने युवाओं में बढ़ रहे नशे की प्रवृत्ति पर चिन्ता जताई और कहा कि अन्य समस्याओं के साथ यह भी एक बड़ी समस्या बन गई है। अनिल जग्गी ने कहा कि पिछले 20 वर्षों में शहर बर्बाद हो गया है। उन्होंने सरकार पर दबाव बनाने के लिए प्रेशर ग्रुप बनाने की जरूरत बताई। आशीष गर्ग ने रिहायशी इलाकों में कॉमर्शियल निर्माणों पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने की जरूरत बताई। नीलेश राठी ने कहा कि अब समस्याओं में चर्चा करने का समय नहीं है। अब समाधान की बात होनी चाहिए। उन्होंने बोटल नेक चिन्हित कर फ्लाई ओवर बनाने के साथ ही लोगों में ट्रैफिक सेंस विकसित करने की जरूरत बताई।

जनसंवाद में उपस्थित प्रबुद्ध डन नागरिकों में नागलिया, ब्रिगेडियर केजी बहल, मनोज ध्यानी, चौधरी ओमवीर सिंह, दिनेश भंडारी, जसवीर सिंह रेनोत्रा, रणजीत सिंह कैंतूरा, शक्ति प्रसाद डिमरी, डॉक्टर मुकुल शर्मा, लेफ्टिनेंट कर्नल बीएम थापा, लेफ्टिनेंट कर्नल गंभीर सिंह, अवधेश शर्मा, जितेंद्र अंथवाल, दीपचंद शर्मा, अमर सिंह धुनता, यज्ञभूषण शर्मा, पुरुषोत्तम भट्ट, पीसी नागिया, अमरजीत सिंह भाटिया, देवेंद्र मोंटी, डॉक्टर अनिल जग्गी, प्रदीप कुकरेती, सुनील गुप्ता, आशीष गर्ग, विशेष जैन, अनिल पैन्यूली, नीलेश राठी, डॉक्टर डीएन जौहर, गुलिस्ता खानम, जितेंद्र डडोना, अनिल पुरी, परमजीत सिंह कक्कड़, सुखबीर सिंह, हिमांशु, ईरा चौहान, तन्मय ममगाई, सुरेंद्र थापा, भूपेंद्र कंडारी, त्रिलोचन भट्ट, सुशील सैनी, महिपाल सिंह कंडारी आदि ने भी अपने सुझाव रखे।

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