टनल हादसा : कहीं उपवास, कहीं दिया ज्ञापन
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में 6 दिन बाद भी टनल में फंसे हुए 41 लोगों को रेस्क्यू न किये जाने पर जन संगठनों ने नाराजगी जताई है। टनल के फंसे हुए लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिन्ता व्यक्त करते हुए इन संगठनों ने जिला अधिकारी कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। इस मामले को लेकर राज्य में कई जगहों पर उपवास रखकर विरोध दर्ज किया गया।
देहरादून में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए आये संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि परियोजना में काम करने वाले मज़दूरों की सुरक्षा को ले कर सरकार गंभीर नहीं दिख रही है। कई बार यह बात साबित हो चुकी है कि हिमालय के पहाड़ों में ऐसी सुरंगें बनाना खतरनाक है, तब भी बिना वैज्ञानिक जांचों के इस तरह की सुरंगें बनाई जा रही हैं। जब एक पूरा शहर जोशीमठ इस प्रकार की लापरवाही की वजह से डूब रहा है, ऐसे परियोजनाओं पर तुरंत प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए। यह भी मांग की गई कि सुरंग से बाहर निकलने के बाद मज़दूरों की शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ के लिए इलाज़, उनको मुआवज़ा देने और दुर्घटना की जांच करने के लिए भी योजना बने।
देहरादून में उत्तराखंड महिला मंच के कमला पंत, निर्मला बिष्ट, और अन्य साथी; आल इंडिया किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवाण; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेशनल कौंसिल सदस्य समर भंडारी; कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सुजाता पाल; स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट; चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल एवं राजेंद्र शाह, जन संवाद समिति के सतीश धौलखंडी; स्वतंत्र पत्रकार स्वाति नेगी और अन्य लोग इस मौके पर मौजूद थे। ज्ञापन पर उत्तराखंड इंसानियत मंच, उत्तराखंड महिला मंच, चेतना आंदोलन उत्तराखंड लोक वाहिनी, समाजवादी पार्टी, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, और अन्य संगठनों ने हस्ताक्षर किये।
रामनगर में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग सिलक्यारा के पास टनल में मलबा आ जाने के कारण पिछले 7 दिनों से टनल की सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों की सकुशल बाहर आने की कामना कीहै।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के लखनपुर स्थित कार्यालय में वहीं बैठक में उपस्थित लोगों ने उत्तरकाशी सिल्क्यरा टनल की सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों के सकुशल बाहर निकालने की कामना की। उपस्थित लोगों ने हिमालय की संवेदनशीलता के साथ हो रही छेड़छाड़ तथा इस तरह की घटनाओं पर चिंता व्यक्त कर उत्तरकाशी, जोशीमठ समेत पहाड़ों में आए दिन हो रही इस तरह की दुर्घटनाओं के पीछे अनियोजित विकास व हिमालय राज्य की संवेदनशील पारिस्थितिकी के साथ छेड़छाड़ को आपराधिक कृत्य बताया जो इस क्षेत्र के विनाश का कारण बन रही है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रधान महासचिव प्रभात ध्यानी ने सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों का 7 दिन बाद भी रेस्क्यू न होने पर आपदा प्रबंधन पर सवाल उठाए ।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रधान महासचिव प्रभात ध्यानी ने कहा कि उत्तराखंड में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बड़ी बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं, बांधों, ऑल वेदर रोड में होने वाली दुर्घटनाओं में काम कर रहे लोगों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं के बराबर हैं। उत्तरकाशी, रैणी और जोशीमठ क्षेत्र में 7 फरवरी 2021 को आई आपदा इसका उदाहरण है जहां तपोवन विष्णु गाड़ योजना में 204 लोगों की टनल में दबने से मृत्यु हो गई थी। इसके बाद जोशीमठ में जबरदस्त भू धसांव हुआ और वहां काम कर रही एनटीपीसी फिर निर्माण व विस्फोट करने की अनुमति चाहती है। उपपा ने कहा कि इस तरह की घटनाओं को लेकर लीपापोती करना ठीक नहीं होगा। हमारी सरकारों और समाज को उत्तराखंड की संवेदनशील पारिस्थितिकी व समाज के हित में विकास के इस मॉडल की गहन समीक्षा कर नीतियों में बड़े बदलाव की तत्काल पहल करनी होगी। बैठक में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी की प्रधान महासचिव प्रभात ध्यानी, कार्यकारिणी सदस्य मनमोहन अग्रवाल ,मोहम्मद आसिफ, राज्य आंदोलनकारी योगेश सती, पत्रकार आकाश नागर, जीएस बिष्ट थे।
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सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तराखंड सरकार
महोदय,
उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर से 40 मेहनतकश श्रमिक कैद हैं और जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण समय में हम इन बातों को आपके संज्ञान में लाना चाह रहे हैंरू
– इन मज़दूरों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। बाहर निकलने के बाद इनकी शारीरक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए कदम उठाया जाये और उनको मुआवज़ा दिया जाये, इसके लिए अभी से योजना होनी चाहिए।
– मज़दूरों को बचाने के बाद ये दुर्घटना क्यों हुआ, इसपर जांच कर ज़िम्मेदार कंपनी एवं व्यक्तियों पर क़ानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। श्रम कानून के उलंघन भी हुए हैं, उनको ले कर भी कार्रवाई करने की ज़रूरत है।
– दशकों से उत्तराखंड के भू वैज्ञानिक एवं प्रभावित आम जनता आक्रोश जता रहे हैं कि हिमालय पहाड़ों में सुरंग खोदना नुक़सानजनक और खतरनाक कार्य है। एक पूरा शहर जोशीमठ ऐसे लापरवाही की वजह से डूब रहा है। ऐसे परियोजनाओं से लोगों के घर और जान खतरे में आये हैं। इसलिए सुरंग के परियोजनाओं पर तुरंत रोक लगाने की ज़रूरत है।
निवेदक
समर भंडारी – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेशनल कौंसिल सदस्य
कमला पंत, निर्मला बिष्ट – उत्तराखंड महिला मंच
सुजाता पाल – कांग्रेस
शंकर गोपाल एवं राजेंद्र शाह – चेतना आंदोलन
त्रिलोचन भट्ट – स्वतंत्र पत्रकार
सतीश धौलखंडी – जन संवाद समिति
स्वाति नेगी – स्वतंत्र पत्रकार