उत्तराखंड का इतिहास: प्राचीन काल से गढ़वाल साम्राज्य के स्थापना तक

(एक) -उत्तराखण्ड का उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद में मिलता है, जहां इस क्षेत्र को देवभूमि या ऋषियों की पुण्य भूमि कहा गया है। -ऐतरेव ब्राह्मण में इसे उत्तर-कुरु कहा गया है। -स्कंदपुराण में इस क्षेत्र के दो भाग मानस खंड और केदारखंड वर्णित किये…

उत्तराखंड: महिलाओं ने दर्ज की एक और बड़ी जीत

उत्तराखंड राज्य जनआंदोलनों की भूमि रही है। आज तक इस राज्य में जितने भी ऐतिहासिक जन आंदोलन हुए, उनमें महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उत्तराखंड के जन आंदोलन का इतिहास इस बात की गवाही देता है कि जिस आंदोलन में महिलाएं कूदी, वह अपने मुकाम…

उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं 100 के पार

त्रिलोचन भट्ट ठंड के मौसम में इस बार बारिश की भारी कमी आने वाले सीजन में जंगलों के लिए बड़ा खतरा बन गई ह। आमतौर पर राज्य में अप्रैल और मई के महीने में फॉरेस्ट फायर की घटनाएं होती हैं, लेकिन इस बार जनवरी में भी जंगलों में कई जगह आग लगी देखी…

चारधाम मार्ग पर कचरे के ढेर

त्रिलोचन भट्ट उत्तराखंड सरकार एक बार फिर से राज्य के चारों धामों में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या का नया रिकॉर्ड बनाने मे लिए जुट गई है। पिछले वर्ष इन धामों में करीब 44 लाख तीर्थयात्री पहुंचे थे। इस बार संख्या 50 लाख या उससे भी ज्यादा…

जोशीमठ बचाने के लिए 300 किमी पैदल

त्रिलोचन भट्ट  दरकते जोशीमठ को बचाने की मांग को सरकार तक पहुंचाने के लिए जोशीमठ के नौ युवक 14 दिन में 300 किमी पैदल चलकर देहरादून पहुंचे तो उनका जगह-जगह जोरदार स्वागत किया गया। इन युवाओं को जुलूस के साथ रिस्पना पुल से शहीद स्मारक…

दबाओं के बावजूद मोर्चें पर महिलाएं

उत्तराखंड में चमोली जिले के ग्वालदम या देवाल जाने के रास्ते में एक छोटा सा कब्बा है कुलसारी। कुलसारी से एक ग्रामीण सड़क पास्तोली और जबरकोट गांवों की तरफ जाती है। कुलसारी के करीब 3 किमी ग्रामीण रास्ते पर एक प्राइमरी स्कूल मिलता है, जबरकोट…

जोशीमठ के साथ रैणी, सुभाईं और सेलंग

यह डायरी धंसते-दरकते जोशीमठ की तीन दिन की यात्रा का वृतांत लिखने का प्रयास है। डायरी के कुछ हिस्से हेराल्ड ग्रुप के अंग्रेजी अखबार नेशनल हेराल्ड, हिन्दी अखबार नवजीवन और उर्दू अखबार कौमी आवाज ने प्रकाशित किये हैं। यहां सम्पूर्ण डायरी…

एनटीपीसी की टनल है जोशीमठ के हेड इंजरी

यह डायरी धंसते-दरकते जोशीमठ की तीन दिन की यात्रा का वृतांत लिखने का प्रयास है। डायरी के कुछ हिस्से हेराल्ड ग्रुप के अंग्रेजी अखबार नेशनल हेराल्ड, हिन्दी अखबार नवजीवन और उर्दू अखबार कौमी आवाज ने प्रकाशित किये हैं। यहां सम्पूर्ण डायरी…

जिन्दगी भर बिजली-सड़क का इंतजार

(रामपुर टोंगिया गांव की आगे की कहानी) रामपुर टोंगिया गांव में कोई अस्पताल नहीं है। सबसे नजदीक का प्राथमिक चिकित्सा केंद्र 6 किमी. दूर पाटकोट है। इसके बाद 12 किमी. दूर कोटाबाग या फिर 32 किमी. की दूरी पर रामनगर। गर्भवती महिलाओं या बुजुर्गों…