उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं 100 के पार
ठंड के सीजन में कम बारिश से बिगड़े हालात
त्रिलोचन भट्ट
ठंड के मौसम में इस बार बारिश की भारी कमी आने वाले सीजन में जंगलों के लिए बड़ा खतरा बन गई ह। आमतौर पर राज्य में अप्रैल और मई के महीने में फॉरेस्ट फायर की घटनाएं होती हैं, लेकिन इस बार जनवरी में भी जंगलों में कई जगह आग लगी देखी गई। हालांकि रोड साइट पर कहीं-कहीं वन विभाग की ओर से कंट्रोल फायर की कार्यवाही की गई, लेकिन दूर-दराज के जंगलों में ऐसा नहीं हो पाया। इस बार कई जगहों पर जंगलों में दिसंबर और जनवरी के महीने में भी आग लग गई थी। जनवरी से मध्य मार्च तक राज्य में जंगलों में आग लगने की 100 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी थी।
नवम्बर से मध्य मार्च तक सूखे की स्थिति के बाद मार्च में राज्य में कुछ जगहों पर खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में छिटपुट बारिश हो रही है। इस बारिश के कारण वानग्नि की घटनाओं में कुछ कमी तो आई है, लेकिन यह सिर्फ फौरी राहत की कही जा सकती है। करीब 5 महीने के सूखे के बाद हो रही छिटपुट बारिश का असर ज्यादा दिन नहीं रहने वाला है। जानकारों का कहना है कि 15 मार्च के बाद तापमान तेजी से बढ़ता है, ऐसे में बारिश का असर एक से दो दिन तक ही रह सकता है।
अब तक 103 घटनाएं
इस सीजन में अब तक राज्यभर में वनाग्नि की 103 घटनाएं हो चुकी हैं. 71 घटनाएं रिजर्व फाॅरेस्ट में और 32 सिविल सोयम जंगलों में दर्ज की गई हैं। इन घटनाओं में 164.45 हेक्टेअर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। 5 लाख 76 हजार 121 रुपये का नुकसान हुआ है और 1 व्यक्ति आग की चपेट में आकर घायल हुआ है. देहरादून जिले में अब तक फॉरेस्ट फायर की 7 घटनाएं हुई हैं. इनमें 2 हेक्टेअर वन क्षेत्र जल गया है.वन विभाग आमतौर पर यह मानकर चलता है कि फॉरेस्ट फायर की घटनाएं फरवरी के बाद ही शुरू होती हैं. यही वजह है कि वन विभाग 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन मानता है. आमतौर पर फॉरेस्ट फायर की घटनाएं छिटपुट रूप से मिड मार्च के बाद शुरू होती हैं और मई, जून में सबसे ज्यादा घटनाएं दर्ज की जाती हैं.
दून में सबसे ज्यादा नुकसान
देहरादून में अब तक आग लगने के बेशक सिर्फ 7 घटनाएं हुई हैं, लेकिन इन घटनाओं में 2 लाख 70 हजार रुपये से ज्यादा का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है. सबसे ज्यादा नुकसान चकराता क्षेत्र में हुआ है. यहां फॉरेस्ट फायर से अब तक 2 लाख 66 हजार रुपये का नुकसान दर्ज किया गया है. अपर यमुना रेंज में 2400 रुपये और मसूरी रेंज में 2000 रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है.
वन विभाग का कंट्रोल फायर
इस बीच वन विभाग की ओर से कुछ जगहों पर कंट्रोल फायर की एक्टिविटीज शुरू कर दी गई हैं. देहरादून-ऋषिकेश रोड पर पिछले कुछ दिनों से लगातार कंट्रोल फायर एक्टिविटीज चलाई जा रही हैं. राज्यभर में मेन रोड से लगे अन्य क्षेत्रों में भी कंट्रोल फायर एक्टिविटीज चलाई जा रही हैं. लेकिन, दूर-दराज के जंगलों में ऐसा करना संभव नहीं है. कंट्रोल फायर में रोड के आसपास के सूखे पत्ते और सूखी घास आदि को एकत्रित कर उन्हें सुरक्षित तरीके से जला दिया जाता है, ताकि यदि रोड से गुजरने वाला कोई व्यक्ति जलती बीड़ी, सिगरेट आदि फेंक दे तो उससे आग फैलने की संभावना न रहे.
कम बारिश से बढ़ा खतरा
इस सीजन में दून सहित राज्यभर में बहुत कम बारिश और बर्फबारी के कारण जंगलों में आग का खतरा बढ़ गया है. अक्टूबर से दिसंबर तक नॉर्मल से बहुत कम बारिश होने के बाद जनवरी और फरवरी के महीनों में भी नॉर्मल से आधा से कम बारिश हुई है. राज्यभर में इन महीनों में बारिश का एवरेज सके 62 परसेंट कम हुई है. राज्य में इस दौरान सामान्य रूप से 96.9 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार सिर्फ 36.8 मिमी ही दर्ज की गई है. देहरादून में इस दौरान 62.9 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य रूप से 107.3 मिमी बारिश होती है. यानी दून में नॉर्मल से 41 परसेंट कम बारिश हुई है.
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