राज्यपाल से मिलकर की हल्द्वानी हिंसा की शिकायत
हल्द्वानी हिंसा के बाद जहां एक ओर सीएम कह आये हैं कि एक-एक उपद्रवी की पहचान की जाएगी, वहीं दूसरी ओर इंडिया अलायंस और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि मंडल के प्रतिनिधि मंडल ने देहरादून स्थित राजभवन में राज्यपाल ले. जन. (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह से मिलकर वस्तुस्थिति के बारे में बताया और इस घटना के जिम्मेदार अधिकारियों को तुरंत हटाने की मांग की। राज्यपाल से प्रतिनिधि मंडल ने यह भी कहा बनभूलपुरा में मस्जिद और मदरसा को तोड़ने से पहले जो सावधानी बरती जानी चाहिए थी, वह नहीं बरती गई। प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया। राज्यपाल में प्रतिनिधि मंडल की मांगों पर हर संभव कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।
इंडिया अलायंस गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों और सिविल सोसायटी के लोग सुबह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में राजभवन पहुंचे। राजभवन में एक सकारात्मक वातावरण के बीच कांग्रेस अध्यक्ष के अलावा उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा और सर्वोदय मंडल के हरबीर कुशवाहा ने हल्द्वानी घटना के विभिन्न पहलुओं को जानकारी दी। करन माहरा ने कहा कि मस्सिद और मदरसे को तोड़ने से पहले जो जरूरी तैयारी थी वह नहीं की गई। समय शाम चार बजे चुना गया, जो गलत था। उन्होंने इस मामले में लोगों पर रासुका के तहत मुकदमे दर्ज करने पर भी ऐतराज जताया और कहा कि वे लोग आतंकवादी नहीं। सिर्फ मस्जिद तोड़े जाने के कारण धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने के कारण संभवतः उन्होंने पथराव किया गया।
उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा ने दिल्ली में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों का हवाला देते हुए बताया कि इस तरह की कोई भी घटना बिना सत्ता के संरक्षण के नहीं होती। उन्होंने आशंका जताई कि इस घटना में ऐसा होने की पूरी संभावना है। इसलिए मामले की न्यायिक जांच करवाई जानी चाहिए। सर्वोदय मंडल के हरबीर कुशवाहा ने जिले के डीएम और एसएसपी सहित सभी संबंधित अधिकारियों को हटाने की मांग की।
इस प्रतिनिधि मंडल में कांग्रेस अध्यक्ष किरन माहरा के अलावा पार्टी की गरिमा दसौनी, शीशपाल बिष्ट, याकूब सिद्धिकी, लाल चंद शर्मा आदि शामिल थे। सीपीआई के समर भंडारी, सीपीएम के राजेन्द्र सिंह नेगी, सीपीआई माले के इंद्रेश मैखुरी, आम आदमी पार्टी के रविन्द्र आनन्द और सपा के डॉ. एसएन सचान भी प्रतिनिधि मंडल में शामिल थे। सिविल सोसायटी की और से उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा, सर्वाेदय मंडल के हरबीर सिंह कुशवाहा, अखिल भारतीय किसान सभा के सुरेन्द्र सिंह सजवाण और सोशल एक्टिविस्ट व पत्रकार त्रिलोचन भट्ट शामिल थे।
राज्यपाल को दिये गये ज्ञापन का प्रारूप
महामहिम राज्यपाल महोदय,
उत्तराखंड शासन, देहरादून.
महामहिम,
हल्द्वानी में दिनांक 08 फरवरी 2024 को हुई घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इंडिया गठबंधन और सिविल सोसाइटी हिंसा की कठोर शब्दों में निंदा करते हैं और शांति कायम करने की अपील करते हैं.
उत्तराखंड के इतिहास में इस तरह की हिंसा की घटना पहली बार हुई है. अचानक इतने बड़े पैमाने पर हिंसा का फैलना, हिंसा के कारणों और उसके होने की परिस्थिति की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच की जरूरत है.
अतः हम यह मांग करते हैं कि इस घटना की न्यायिक जांच, उच्च न्यायलय के सेवारत अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश से करवाई जाए.
इतनी भीषण हिंसा की घटना में प्रथम दृष्टया प्रशासन की लापरवाही, जल्दबाजी, निष्पक्षता और बल प्रयोग करने को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं. अतः नैनीताल जिले के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को तत्काल निलंबित करते हुए पद से हटाया जाए.
महामहिम, अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर पिछले एक साल से चल रही कार्यवाहियां गंभीर सवालों के घेरे में हैं. बिना नोटिस के कार्यवाही से लेकर पक्षपातपूर्ण और गैर कानूनी कार्यवाही तक की घटनाएँ सामने आई हैं.जिस प्रकरण में हल्द्वानी में हिंसा हुई है, वह मामला उच्च न्यायलय में विचाराधीन है और उसकी अगली तारिख 14 फरवरी 2024 को है. इसके बावजूद ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की कोशिश हुई. इस तरह की निरंकुश कार्यवाही पर रोक लगनी चाहिए. किसी भी कार्यवाही को करते हुए पुनर्वास, नोटिस, सुनवाई और संवेदनशीलता का ध्यान रखा जाना चाहिए. किसी को भी बेघर नहीं किया जाना चाहिए.
महामहिम, भीषण हिंसा की इस घटना से निपटने की नाम पर भीषण पुलिसिया प्रतिहिंसा नहीं होनी चाहिए. इस घटना से निपटने के नाम पर होने वाली हर कार्यवाही कानून और संविधान के दायरे के अंदर होनी चाहिए. आपसे निवेदन है कि राज्य सरकार और प्रशासन को निर्देशित करें कि उनकी कोई भी कार्यवाही संविधान और कानून के दायरे में ही हो.
सधन्यवाद,
उत्तरापेक्षी,
इंडिया गठबंधन एवं
सिविल सोसाइटी
उत्तराखंड.