देहरादून पहुंची भगत सिंह जन अधिकार यात्रा

56 दिन पहले कर्नाटक के बैंगलुरु से शुरू हुई भगत सिंह जन अधिकार यात्रा आज यानी 3 फरवरी 2024 को देहरादून में थी। देश के विभिन्न हिस्सों के यात्री सुबह दून लाइब्रेरी पहुंचे। यहां से नारे लगाते हुए लैंसडौन चौक, कनक चौक, राजपुर रोड होकर गांधी पार्क के गेट पर पहुंचे। यहां जनगीत गाये और बेरोजगारी और महंगाई जैसे जनता के मुद्दों को लेकर जमकर नारेबाजी की गई।

गांधी पार्क ने एक जलूस निकाला गया। इसमें यात्रा में शामिल देशभर के राज्यों के 50 से अधिक यात्रियों के साथ ही देहरादून के लोग भी शामिल हुए। यह जूलूस घंटाघर, दर्शनलाल चौक, तहसील चौक होता हुआ कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंचा। यहां एक बार फिर से जनगीत गाये गये। यह हुई सभा में उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने बेबाकी के साथ देश और उत्तराखंड की मौजूदा हालत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार नहीं दे पा रही, महिलाओं की सुरक्षा भगवान भरोसे है, महंगाई के कारण कई घरों की चूल्हे ठीक से नहीं जल रहे हैं। केन्द्र और उत्तराखंड सरकार इन मुद्दों से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति कर रही है। समाज में वैमनस्य फैलाकर समाज को बंटा जा रहा है।

क्योंकि चुनाव क़रीब आ गया है, इसलिए सरकार ने थोड़ी सी वैकेंसी निकाल कर युवाओं के मुँह में ख़ून लगा दिया है ताकि वे चुनाव तक शान्त रहें और इसमें ही उलझे रहें। ये शब्द आज देहरादून में भगतसिंह जन अधिकार यात्रा में आये एक पुलिसकर्मी के थे जिसे यात्रियों की सुरक्षा के लिए भेजा गया था। यात्रा के साथ पुलिस का एक बड़ा जत्था चल रहा था। सुरक्षा के नाम पर यात्रियों को आम लोगों से मिलने नहीं दिया जा रहा था, पर इन्हीं पुलिस वालों में से कई लोगों ने यात्रा के मुद्दों पर सहमति भी जतायी। अभी से डेढ़ साल पहले ही उत्तराखण्ड में हुई एसएससी की परीक्षाओं में धाँधली की चर्चा करते हुए एक पुलिसकर्मी ने कहा कि उसमें सत्ता में बैठे लोगों का ही हाथ था जिसका खामियाज़ा आम घर के नौजवानों को भुगतना पड़ रहा है।

यात्रा में आज के देश के हालात के साथ-साथ उत्तराखण्ड के हालात पर भी बात की गयी। चाहे रोज़गार की बात हो या महँगाई की, देश की हालत तो पहले ही ख़राब है, उत्तराखण्ड की हालत कई मामलों में और भी बदतर है। अपने पड़ोसी राज्यों की तुलना में ही यहाँ 15 से 29 वर्ष के बीच की उम्र के युवाओं की बेरोज़गारी दर 14.2 प्रतिशत है, जो बाकी पहाड़ी राज्यों से कहीं बदतर है। इसके साथ ही धर्म के नाम पर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने में भी भाजपा और संघ ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। बावजूद इसके लोग कई मामलों में भाजपा की इस बाँटो और राज करो की नीति को समझ रहे हैं।

इस यात्रा में कविता, प्रसेन, शिवा, अश्विनी, अंकित, युवराज, शरून, नौरीन, ज्योति, निशु, गीतिका, प्रज्ञा, रामा, राजू, मोती, योगेश और शामिल थे। देहरादून के जिन लोगों ने यात्रा में हिस्सा लिया उनमें त्रिलोचन भट्ट, निर्मला बिष्ट और महिला मंच की अन्य साथी, जितेन्द्र भारती, राजेश पाल, समदर्शी बर्थवाल, सतीश धौलाखण्डी, जयकृत कण्डवाल, कमलेश खन्तवाल, संजीव घिल्डियाल आदि शामिल थे। इनके द्वारा भी एक क्रान्तिकारी गीत की प्रस्तुति की गयी।

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