एसआईटी को नहीं मिला वीआईपी
अंकिता मर्डर केस की चार्जशीट
जैसी आशंका थी वैसा ही हुआ। अंकिता मर्डर केस की जांच कर रही एसआईटी को इस मामले में किसी वीआईपी की संलिप्तता नहीं मिली। एसआईटी उस वीआईपी का नाम नहीं मालूम कर पाई, जिसके लिए अंकिता को स्पेशल सर्विस देने के लिए कहा जा रहा था और अंकिता के मना करने पर उसकी हत्या कर दी गई थी।
एडीजी लॉ एंड आर्डर वी. मुरुगेशन ने 17 दिसम्बर को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके घोषणा की कि अंकिता हत्याकांड की जांच पूरी कर ली गई है और 500 पेज की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में तीन ही आरोपी हैं। भाजपा के तत्कालीन नेता और अब खुद कुकर्म का आरोपी विनोद आर्य का बेटा व रिजॉर्ट का मालिक पुलिकित आर्य, उसका दोस्त रिजॉर्ट का सहायक प्रबंधक सूरजनगर ज्वालापुर हरिद्वार का सौरभ भास्कर, पुत्र शक्ति भास्कर और ज्वालापुर का ही अंकित उर्फ पुलकित गुप्ता। तीनों पहले से ही गिरफ्तार हैं।
तीनों का पहले से आपराधिक इतिहास रहा है। उन पर गैंगस्टर एक्ट और धारा 420 जैसे मुकदमें दर्ज हैं। इन तीनों के अलावा किसी का कोई हाथ इस केस में नहीं है। हालांकि एसआईटी को और क्या-क्या इस जांच में मिला, यह तो पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही पता चल पाएगा। लेकिन, ज्यादा कुछ की उम्मीद नहीं है। ज्यादा कुछ होता तो वह प्रेस कॉन्फ्रेंस में जरूर बता दिया जाता। प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं बताया गया, यानी कुछ है नहीं रिपोर्ट में। इस पूरी जांच और 500 पेज की चार्जशीट का कुल जमा निचोड़ ये था कि इस पूरे प्रकरण में कोई वीआईपी शामिल ही नहीं था। हालांकि नार्को टेस्ट को लेकर अब इंवेस्टिगेशन जारी रहने की बात भी कही गई है।
एसआईटी ने इस बारे में भी जांच नहीं की कि जिस कमरे में अंकिता रहती थी, घटना के बाद उस कमरे पर बुलडोजर क्यों चलाया गया, एसआईटी ने संभवतः यह भी जांच नहीं कि अवैध रूप से चलने वाले इस रिजॉर्ट को साथ की जिस आयुर्वेदिक फैक्टरी की आड़ में चलाया जा रहा था, उसमें पुलिस के कड़े पहरे और वहां तक किसी की आवाजाही न होने के बावजूद आग कैसे लगी? एसआईटी ने हय भी जांच नहीं की कि स्थानीय विधायक इस मामले में लगातार सबूत नष्ट करने का प्रयास क्यों कर रही थी? खैर जब राज्य के कैबिनेट मंत्री खुद आरोपियों का जैसा बयान दे चुके हों कि वीआईपी कोई व्यक्ति नहीं कमरा है, तो फिर एसआईटी से कोई ज्यादा उम्मीद की भी नहीं जानी चाहिए।

तेज होगी सीबीआई जांच की मांग
अंकिता की हत्या के तुरंत बाद जिस तरह से सबूत नष्ट करने का प्रयास किया गया और पुलिस ने कुछ नहीं किया। जिस तरह से विनोद आर्य को मुकदमें में नामजद नहीं किया गया, उससे साफ हो गया था कि पुलिस इस मामले में लीपापोती ही करने वाली है। हालांकि एसआईटी को गठन कर मामले की जांच करने का भी उपक्रम किया गया, लेकिन पहाड़ का जनमानस पहले दिन से ही एसआईटी की जांच से संतुष्ट नहीं था। पहले दिन से लोगों के मन में यह आशंका घर कर गई थी कि साक्ष्य नष्ट करने में मदद करने वाली पुलिस जांच में लीपापोती करेगी। इसीलिए पहले ही दिन से इस मामले में हाईकोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में सीबीआई जांच करवाने की मांग की जा रही थी। इस मांग को लेकर राज्यभर में धरने-प्रदर्शन और बंद भी हुआ था और अंकिता के माता-पिता इस मामले को लेकर हाई कोर्ट भी गये है। हाई कोर्ट ने पुलिस पर तल्ख टिप्पणियां भी की हैं।
क्या कहती है फैक्ट चेक रिपोर्ट
उत्तराखंड महिला मंच की पहल पर देशभर में प्रमुख महिलावादी संगठनों की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पिछले दिनों इस मामले में सभी घटनास्थलों में जाकर फैक्ट कलेक्ट करने का प्रयास किया था। टीम ने संबंधित पक्षों और संबंधित अधिकारियों से भी बातचीत की थी। इस टीम ने रिपोर्ट दो दिन पहले नैनीताल में जारी की गई। इस रिपोर्ट में भी साफ कहा गया है कि एसआईटी की जांच संदिग्ध है, यह जांच सिर्फ लीपापोती है, इसलिए उच्च स्तरीय जांच जरूरी है।