विकास का पर्याय नहीं, विनाश को न्यौता हैं ये सुरंगें
दिवाली पर उत्तराखंड में एक बड़ा हादसा हो गया है। उत्तरकाशी में यमुनोत्री राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग धंस जाने के कारण 40 से 50 मजदूरों की जान सांसत में फंस गई हैं। सुबह अचानक सुरंग में हुए धंसाव के कारण ये मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं। किस हालत में हैं, यह कोई नहीं जानता। अलबत्ता प्रशासन ने सभी के सुरक्षित होने का दावा किया है।
उत्तराखंड में हर तरफ सुरंगें बन रही हैं। कहीं राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुरंगें बन रही हैं तो कहीं पहाड़ों पर रेल पहुंचाने के लिए बड़ी-बड़ी सुरंगें बनाई जा रही हैं। राज्य सरकार ने अब यह भी घोषणा कर दी है कि भीड़-भाड़ वाली जगहों पर सुरंगों में पार्किंग बनाई जाएगी। इन सुरंगों को विकास का पर्याय माना जा रहा है, लेकिन वास्तव में सुरंगें विनाश को न्योता दे रही हैं। दीवावली की सुबह हुए सुरंग हादसे पर उत्तकाशी जिला प्रशासन ने कुछ देर पहले यह बयान जारी किया है।
ब्राह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव तक निर्माणाधीन टनल का एक छोर (सिलक्यारा की तरफ) से आज 12 नवंबर की सुबह अचानक टूट गया है। जिसमें सिफ्ट चेंजिग के दौरान 40 के करीब मजदूर अन्दर फंस गये है। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी, श्री अर्पण यदुवंशी द्वारा तुरन्त मौके पर पहुँचकर राहत एवं बचाव कार्यों की कमान संभाली गयी है। पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी के नेतृत्व में पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, फायर, आपातकालीन 108 व निर्माणाधीन टनल में कार्यदायी संस्था छभ्प्क्ब्स् की मशीनरी मौके पर बोरवेलिंग व टनल खुलवाने का कार्य कर रहें। टनल में मजदूरों के लिये पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेण्डर होना बताया जा रहा है। एक अतिरिक्त ऑक्सीजन पाइप भी टनल के अंदर पहुंचा दिया गया है, टनल के अंदर सभी मजदूर सुरक्षित हैं।
यह सिर्फ दावा ही है। बताया जाता है कि सुरंग का एक हिस्सा इतनी बुरी तरह से धंस गया है कि अंदर फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचना बहुत कठिन है और रेस्क्यू अभियान लंबा चल सकता है। फिलहाल कहा नहीं जा सकता कि मजदूर किस हालत में होंगे।
मैंने पिछले महीने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए बनाई जा रही सुरंगों से प्रभावित कुछ गांवों का दौरा किया था। ये गांव बहुत बुरी हालत में हैं। सुरंग के ठीक ऊपर वाले गांवों में परंपरागत जलस्रोत सूख गये हैं। खेत और घरों में लगातार दरारें आ रही हैं और लोग दहशत में जी रहे हैं। यही हालत राष्ट्रीय राजमार्गों पर बन रही सुरंगों के कारण भंी पैदा हो गई है। दूसरी तरफ सरकारें इन सुरंगों को विकास का पर्याय मान रही हैं। अब तक बन रही सुरंगों से सरकार का मन भरा नहीं है और लगातार नई-नई सुरंगें बनाने की घोषणा की जा रही है। सड़कें चौड़ी होने के बाद पहाड़ी कस्बों और सड़कों पर पार्किंग की समस्या पैदा हो गई है। इस समस्या से निपटने के लिए भी सरकार ने सुरंग का रास्ता खोजा है और ऐलान किया गया है कि जहां भी पार्किंग की जगह नहीं है, वहां सुरंगों में पार्किंग बनाई जाएगी। मसूरी और चंबा के बीच सुरंग बनाये जाने की चर्चा भी खूब हो रही है। जल विद्युत परियोजनाओं के लिए पहाड़ों को चीरकर लगातार सुरंगें बनाई जा रही हैं।
भूवैज्ञानिकों की माने तो हिमालयी पहाड़ों की बनावट को देखते हुए यहां सुरंग बनाने जैसी योजनाओं पर गहन वैज्ञानिक जांच की जरूरत होती है। लेकिन, सरकार बहुत जल्दी में है और कम से कम बजट में इन योजनाओं को पूरा करना चाहती है, लिहाजा इस तरह की जांचों को लेकर सिर्फ लीपापोती की जा रही है। इसके अलावा इन सुरंगों को बनाने के लिए विस्फोटकों का इस्तेमाल भारी तादाद में किया जा रहा है। इससे न सिर्फ ये सुरंगें बल्कि ऊपरी हिस्से के पूरे के पूरे पहाड़ असुरक्षित हो गये हैं।