मंगसीर की बग्वाळ (दिवाली) अर्थात रिख बग्वाळ

महिपाल नेगी गढ़वाल में वह रिखोला लोदी के नाम से जाना गया। उसका पूरा नाम लोदी सिंह रिखोला नेगी था। पहले की जाति कुछ और रही होगी लेकिन गढ़वाल राजा से नेगीचारी मिलने से नेगी हुए। वह गढ़वाल रियासत के बदलपुर के बयेली / बयेला गांव में…

संविधान दिवस पर डॉ अंबेडकर की चेतावनी याद करिए

इन्द्रेश मैखुरी संविधान सभा की बहसों में अन्य मौकों पर संविधान निर्माता डॉ.अंबेडकर ने जो कहा, उसे आज के परिपेक्ष्य में,जबकि न्याय,संविधान और लोकतंत्र पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं,याद करना समीचीन होगा. संविधान सभा में 25 नवंबर…

हिमालय पर घटती बर्फ बड़ी चिन्ता की बात

त्रिलोचन भट्ट केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव के सिलसिले में 11 दिन तक इस घाटी में रहा। मेरा जन्म इसी घाटी में हुआ। बचपन और किशोरावस्था यहीं बीती। बाद के दौर में कुछ-कुछ दिनों के लिए आना ता हुआ, लेकिन घाटी में हो रहे बदलाव ज्यादा महसूस…

केदारनाथ उपचुनाव: किसने किसको मदद पहुंचाई

त्रिलोचन भट्ट केदारनाथ विधानसभा उप चुनाव का नतीजा अब सामने है। बीजेपी की आशा नौटियाल ने 5 हजार 623 वोट से जीत हासिल कर दी है। कांग्रेस की कुल उपलब्धि इतनी रही कि 2022 के विधानसभा चुनावों की तुलना में उसका प्रदर्शन कुछ सुधर गया और कांग्रेस…

मरचुला बस हादसा : कौन है जिम्मेदार

त्रिलोचन भट्ट उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं का राज्य कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस राज्य में सबसे ज्यादा मौतें आपदाओं से नहीं बल्कि सड़क हादसों से होती हैं। और सड़क दुर्घटनाएं क्यों होती हैं? लापरवाही से। जानलेवा सरकारी लापरवाही…

सीएम साहब! बंद करो ये हेल्पलाइन का प्रपंच

त्रिलोचन भट्ट उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार आम लोगों की शिकायतों को दूर करने के लिए बहुत पसीना बहा रही है। आपकी शिकायतों को दर्ज करवाने और उनका निस्तारण करने के लिए हेल्पलाइन हैं और ऐप भी हैं। बस आपको गूगल प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड करना है…

प्रेमचंद पर पूर्व डीजीपी का अनोखा ज्ञान

इंद्रेश मैखुरी 31 जुलाई को हिंदी कथा साहित्य के बेजोड़ शिल्पी प्रेमचंद की जयंती होती है. 31 जुलाई 1880 को प्रेमचंद का जन्म हुआ और 08 अक्टूबर 1936 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. इस बीच उन्होंने जो साहित्य रचा, वो समाज के…

गिरफ्तार करने दूसरे जिले में गई पुलिस, लाश बॉर्डर पर छोड़ दी 

त्रिलोचन भट्ट उत्तराखंड पुलिस का क्रूर और अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया है। किसी चोरी के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने पुलिस अपनी सीमा को लांघकर दूसरे जिले में धमक गई, बिना वहां की पुलिस को सूचित किये। लेकिन, असहनीय पिटाई से…

कांवड़ यात्रा: जहर की फसल, सौहार्द्र के गुलाब

त्रिलोचन भट्ट एक जाने-माने कवि हैं यश मालवीय। उनकी एक कविता है, जो उन्होंने हाल के दौर में लिखी है। पहले हम उनकी कविता की कुछ पंक्तियां देखते हैं- दबे पैरों से उजाला आ रहा है फिर कथाओं को खंगाला जा रहा है धुंध से चेहरा निकलता दिख रहा है…

अस्कोट-आराकोट यात्रा: गोपेश्वर से बणद्वारा तक

त्रिलोचन भट्ट ब्राजील की कवयित्री मार्था मेरिडोस की एक कविता है यू स्टार्ट डाइंग स्लोली.... कुछ लोग इसे पाब्लो नेरुदा की कविता कहते हैं। कविता की शुरुआती पंक्तियांे का हिन्दी तजुर्मा इस तरह है- आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं अगर आप नहीं…