हाईकोर्ट के फैसले से नदियों को मिलेगा जीवन
नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में नदियों में बड़ी मशीनों से खनन न करने के आदेश दिये
पिछले कई वर्षों से बड़ी -बड़ी मशीनों का इस्तेमाल करके खोदी जा रही पहाड़ की नदियों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। नैनीताल हाईकोर्ट ने नदियों में मशीनों से खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने सभी जिला अधिकारियों के नाम आदेश जारी किए हैं। यह फैसला नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने जारी किया।
हाईकोर्ट ने इस तरह का आदेश जारी करने के साथ ही सचिव खनन से पूछा है कि वन विकास निगम की वेबसाइट के अनुसार प्रति क्विंटल रॉयल्टी 31 रुपये है, जबकि प्राइवेट खनन वाले इसे 12 रुपये प्रति क्विंटल बता रहे हैं। यह अंतर क्यों है। इस पर कोर्ट ने शपथ पत्र देने को कहा है। दरअसल हल्द्वानी के हल्दूचौड़ निवासी गगन पाराशर व अन्य ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की। इस याचिका में कहा गया था कि राज्य में नदियों में मशीनों के खनन की अनुमति नहीं है लेकिन इसके बावजूद लगातार बड़ी-बड़ी मशीनें नदियों में उतारी जा रही हैं।
दरअसल राज्य खनन नियमावली में केवल मैन्यूअली नदियों में बजरी, पत्थर और बोल्डर चुगान की अनुमति है। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से अचानक राज्य की सभी छोटी-बड़ी नदियों में खनन के लिए बड़ी-बड़ी पोकलैंड मशीने उतार दी गई थी। एक तरह से सरकार के मौखिक निर्देश पर राज्य की नदियों में इस तरह का खनन किया जा रहा था। इन बड़ी मशीनों के कारण नदियों में अनुमति से कई गुना गहराई तक खुदाई की जा रही थी। इसके साथ ही पोकलैंड मशीनें और रेत, बजरी, बोल्डर ढुलान के लिए डम्पर आदि नदियों तक पहुंचाने के लिए सड़कें खोदे जाने से भी नदियों को भारी नुकसान हो रहा था। कई जगहों पर नदियों के आसपास के क्षेत्रों के लिए भी सुरक्षा का सवाल पैदा हो गया है। फिलहाल हाईकोर्ट का यह फैसला है बेहद महत्वपूर्ण फैसला है और इससे उत्तराखंड की नदियों को नया जीवन मिलने की उम्मीद की जा सकती है।
12 जनवरी तक शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को बताएं
हाईकोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को नदियों तट पर खनन को लगी मशीनों को सीज करने के आदेश भी दिए हैं। अगली सुनवाई को 12 जनवरी की तिथि नियत की है।
प्राइवेट खनन कारोबारी कम टैक्स दे रहे है
वन निगम की वेबसाइट पर 31 रुपया प्रति कुंतल और प्राइवेट में 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी निर्धारित है। जिसकी वजह से प्राइवेट खनन कारोबारी कम टैक्स दे रहे हैं। सरकारी ज्यादा, जिससे सरकार को घाटा हो रहा है, ग्राहक प्राइवेट खनन कारोबारियों से माल खरीद रहे हैं। सरकारी व प्राइवेट में एक समान रॉयल्टी दरें निर्धारित हों।
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