
भू कानून : कितनी भू कितना कानून
Atul Sati
उत्तराखण्ड आंदोलन के मूल बिंदु थे जल जंगल जमीन पर जनता का अधिकार और रोजगार । जल जंगल जमीन से जुड़े उद्योगों का अथवा यहां के संसाधनों का समुचित उपयोग यहां की जनता के हक में । पानी यहां पर्याप्त मात्रा में था । जिसका उपयोग नाममात्र का था । उत्तराखण्ड आंदोलन के प्रमुख जन कवियों में एक अतुल शर्मा जी के गीत की पंक्ति थी ” नदी पास है मगर ये पानी दूर दूर क्यों ” इसका आशय ही यह था कि यहां सदानीरा नदियों की कमी न थी परन्तु उसके पानी का उपयोग न था । ऐसे ही जंगल पर्याप्त थे राज्य बनने के समय वन भूमि कुल भूमि का 63 प्रतिशत थी । जो आज बढ़कर 71 प्रतिशत तक पहुंच गया है । इन जंगलों का भी उपयोग नाम मात्र ही था । इमारती लकड़ी यहां से कटकर सब मैदानों में चली जाती थी । और जंगल के शेष उत्पादों का भी दोहन सीमित था और माफियाओं के ही अधिकार में था । रोजगार के लिए युवा पलायन को मजबूर थे । तभी हमारी अर्थव्यवस्था को कहा गया मनीआर्डर पर निर्भर अर्थव्यवस्था । सिर्फ भूमि ही एकमात्र संसाधन थी जिसकी मात्रा सीमित थी । सीमित है । जहां राज्य बनने के समय कुल कृषि भूमि 9 प्रतिशत थी वह आज 5 प्रतिशत के लगभग है ।
लेखक सोशल एक्टिविस्ट हैं और जोशीमठ में रहते हैं।